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इस जगती का यही नियम है
कर्म भुगतना ही जीवन है
भाग्य कर्म पथ पर चलता है
कर्म सदा जीवन धन है
मैं भटक गया जीवन पथ से
क्यों फिर वृथा मन बहलाऊँ
मैं भी दुर्बल वह भी दुर्बल
वृद्धापन कहाँ भगाऊँ।
आज अपने जन्मदिवस पर
सबको मन की बात बताऊँ।।
रामस्वरूप शर्मा शास्त्री
सहारनपुर, उ०प्र०
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